महाराष्ट्र में अग्निवीर संगठन के गौरक्षकों पर प्राणघातक हमला, शहर के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय मे किया शहर बंद का आवाहन 

महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले मे कसाईयों ने अग्निवीर संगठन के गौरक्षक मच्छिंद्र शिर्के (उम्र 38) और उनके साथी गौरक्षक भारत सूर्यवंशी (उम्र 41) पर प्राणघातक हमला किया,जिसमें मच्छिंद्र शिर्के की हालात नाज़ुक हैं और भारत सुर्यवंशी को गहरी चोट आई हैं।

उनका अभी इलाज चल रहा हैं। इसी घटना के विरुद्ध आंदोलन करते हुए मालेगाँव के हिंदू समुदाय ने 6 फरवरी के दिन मालेगांव बंद का आवाहन करते हुए हज़ारों की संख्या में एकत्रित होकर प्रदर्शन रैली निकाली।

शिर्के अभी भी बेहोश हैं। हमनें उनके साथी भारत सूर्यवंशी से बात की तो उन्होंने हमे इस घटना की जानकारी दी।

       (हमले में घायल भारत सूर्यवंशी)

कल 5 जनवरी के दिन शाम 6 से 7 बजे के बीच शिर्के और सूर्यवंशी नासिक से मालेगांव की तरफ अपनी बुलेट गाड़ी से जा रहें थे। गाड़ी शिर्के चला रहें थे।

तब उन्हें गौ तस्करी कर रही एक बोलेरो पिकअप गाड़ी दिखी जिसका नंबर MH 04 EB 0945 था। तब दोनों ने उस गाड़ी का पीछा करना शुरू किया। तस्करों ने शिर्के को और सूर्यवंशी को पहचान लिया और गाड़ी तेजी से भगाने लगे।

जब गाड़ी मूंगसे गाव के पास पहुची तब उस बोलेरो गाड़ी के साथ उन्हें कवर दे रही दूसरी स्विफ्ट गाड़ी MH41 6838 में मौजूद कसाईयों ने उनपर कांच की बोतल फेंकी और उनपर दांडे भी मारे जिसमें एक बोतल पीछे बैठे सूर्यवंशी के नाक पर लगी।

दूसरी बोतल शिर्के के सिर पर लगी जिसके बाद उनकी गाड़ी का नियंत्रण छुट गया। जैसे तैसे उन्होंने गाड़ी रास्ते के एक तरफ रोकने की कोशिश की तभी गोवंश तस्करी कर रहें बोलेरो पिकअप ने ब्रेक लगाया जिस कारण दोनों उस गाड़ी से टकराए।

उसी समय तुरंत स्विफ्ट गाड़ी में मौजूद कसाईयों ने दोनों पर हमला कर उनपर दूसरी तरफ से अपनी गाड़ी चढ़ा दी जिसके कारण शिर्के का सिर फट गया और सुर्यवंशी को गंभीर चोट आयीं हैं।शिर्के की हालत काफी खराब हैं। दुर्घटना को देख जब मूंगसे के गाववाले वहां पहुचें तो तस्कर और गाड़ी चालक गौतस्करी की गौवंश से भरी गाड़ी वही छोड़ भाग गए।

(पकड़ी गई गौ तस्करी की गाडी)

(दुर्घटना ग्रस्त गौरक्षको की गाड़ी)

जान से मारने की मिली थी धमकी :

शिर्के ने 29 जनवरी के दिन राष्ट्र ज्योति के साथ संवाद किया और जानकारी दी कि कसाई लोग उन्हें गौरक्षा रोकने हेतु जान से मारने की धमकियां दे रहें है। साथ ही उनपर झूठे आरोप लगा कर उनकी बदनामी भी कर रहें हैं। इसका कारण बताया की उन्होंने पिछले 2 महिनों में कसाईयों कि 50 से अधिक गोवंश तस्करी की गाड़ियां रोकी जिसमें 1 करोड़ से ज्यादा कीमत का गोवंश कसाईयों से बचाया हैं। जिस कारण कसाई उन पर बहुत ज्यादा क्रोधित है।शिर्के ने सभी पकडी गई गाड़ियों के नंबर और एफआईआर भी हमसे साझा की थी।

 

जान से मारने की कई धमकी मिलने के बाद भी शिर्के ने कसाईयों को प्रत्युत्तर देते हुए एक वीडियो स्टेटमेंट देकर कहा कि गाय काटना तुम्हारा काम हैं और गाय बचाना हमारा धर्म, हम तुम्हारी धमकियों से डरने वाले नहीं।

हमले के कारण :

1) 2 फरवरी के दिन मालेगाँव के पूर्व विधायक आसिफ शैख ने मांस का व्यापार करने वाले कुरैशी समाज के 400 कसाईयों के साथ एक मीटिंग की जिसमें उन्होंने कसाईयों को गौरक्षको विरुद्ध उकसाया।

उन्होंने गौरक्षको द्वारा पकडी गई गाड़ियों की भी पुष्टी की और पुलिस को 10 दिन का वक़्त देकर पुलिस को चेतावनी दी कि गौरक्षको को रोक कर उनपर कारवाई करें अन्यथा 11 वे दिन फिरसे कुरेशी बिरादरी एक मीटिंग लेगी और इसपर फैसला करेंगे।

( इस मीटिंग का वीडियो राष्ट्र ज्योति को मिला हैं।)

2) कुछ दिन पहले इन्तेहाद टाइम्स और अन्य एक उर्दू अखबार मे शिर्के की तस्वीर अख़बार में छापकर उनके गौरक्षा के कार्य के विरुद्ध लोगों को उकसाने वाला आर्टिकल भी छापा था।

गौरक्षकों के खिलाफ अनूठी इस्लामी कार्यवाही, उर्दू में छापी जानकारियां, सरकार पर भी निशाना

वर्तमान स्थिति:

मालेगाँव के हिंदू समुदाय ने इस घटना का विरोध करते हुए प्रदर्शन रैली निकाली जो शहर के मुख्य चौराहे मौसम पुल से होकर जिलाधिकारी कार्यालय तक निकाली। इसमे कुरेशी समाज द्वारा की गई इस मीटिंग के कारण ही मच्छिंद्र पर हमला होने कि बात मच्छिंद्र के अन्य साथी गौरक्षक राहुल बच्छाव ने आज के आंदोलन मे की हैं।

आपको बता दे की मालेगाव शहर में हिन्दू समुदाय अल्पसंखक है। पुलिस ने हिंदू समुदाय को शहर मे शांति बनाए रखने की विनती की और सभी अपराधियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया हैं।

(वर्ष 2017 में हुए हमले की तस्वीर)

शिर्के पर इससे पहले वर्ष 2017 मे भी 70 कसाईयों के समुह द्वारा हमला किया गया था जिसमें उन्हें काफी ज्यादा चोट आयीं थीं और उसके बाद मालेगांव शहर मे दंगे शुरू हो गए थे। उस समय भी ऐसी ही एक कसाई लोगो की मीटिंग हुयी थी जिसके बाद मछिन्द्र पर हमला हुआ था।

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