उर्दू अखबार ने गौरक्षक पर साधा निशाना, छापी जानकारियां। क्या लोगों को भड़काने का है उद्देश्य?

महाराष्ट्र के एक साप्ताहिक उर्दू अख़बार ‘इत्तेहाद टाइम्स’ के द्वारा एक गौरक्षक की तस्वीर और जानकारी साझा करते हुए लोगों को उनके विरुद्ध उकसाने की घटना सामने आयी है।

अवैध तरीके से गायों की तस्करी रोकने के लिए काम करने वाले गौरक्षकों की तस्वीर के साथ उनकी जानकारी अपने साप्ताहिक अख़बार में छापकर लोगो को भड़काने का काम किया हैं, ऐसा स्थानीय लोगों का आरोप है।

महाराष्ट्र राज्य में गौवंश हत्या बंदी कानून लागू है लेकिन फिर भी अवैध रूप से दूसरे राज्यों से गाय और गौवंश की तस्करी ज़ोर-शोर से की जाती है। ऐसे में महाराष्ट्र की सीमाओं से मालेगांव, औरंगाबाद और भिवंडी जैसे शहरों अवैध तरीके से होने वाले गाय गौवंश की तस्करी को रोकने का कार्य पुलिस करती है। पुलिस को तस्करी की जानकारी उनके सूत्र या गौरक्षकों को मिलने वाले गुप्त सूत्रों से पता चली है।

इत्तेहाद टाइम्स ने लिखा है की “गौवंश हत्या बंदी कानून का फायदा सिर्फ गौरक्षक और गौ शालाओं को हुआ हैं, गौरक्षक मछिंद्र शिर्के पिछले कई दिनों से एक्शन मोड में हैं।” साथ ही पुलिस और गौरक्षको द्वारा किए गए गौरक्षा के कार्य को आतंक बताया है।

संबंधित अखबार ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा है की गौरक्षक रात-रात भर रास्तों पर जागकर बाहरी राज्यों से महाराष्ट्र में आने वाली गौवंश को रोकते हैं। उनके द्वारा उन वाहनों को रोकना प्रशासन द्वारा गौरक्षकों को मिली खुली छूट है।

इत्तेहाद टाइम्स ने मछिंद्र शिर्के को टारगेट करते हुए यह लेख उर्दू भाषा में छापा हैं। मछिंद्र शिर्के महाराष्ट्र राज्य में बड़ी संख्या में होने वाली गौ तस्करी को ज्यादा मात्रा में रोकने में सफ़ल रहे हैं। इसी गौरकक्षा के कार्य की वजह से 14 फरवरी 2017 को उनपर 70 से ज्यादा कसाईयों के समूह ने मोब लिंचिंग की कोशिश भी की थी। जिसके पश्चात नाशिक जिला में दंगे भड़क गए थे।

उनके होश में आने तक धारा 144 लागू की गई थीं। होश में आने के बाद उन्होंने लोगो को संबोधित करते हुए दंगे रोकने के लिए और शांति बनाए रखने के लिए कहा जिसके बाद माहोल शांत हुआ था। जानलेवा हमला होने के बाद अभी भी वर्तमान में भी वह गौरक्षा का कार्य करते हैं।

राष्ट्र ज्योति ने मछिंद्र शिर्के से फ़ोन पर बात की तो उन्होंने हमे अपना स्टेटमेंट दिया वह निम्नलिखित हैं:

“मेरे गोरक्षा के कार्य को रोकने के लिए मुझ पर क्रूरता से जानलेवा हमला किया गया था, आज भी जान से करने की धमकियां मिलती हैं, मेरी नौकरी चली गई हैं। ऐसे में मेरी तस्वीर अख़बार में छापकर कसाई लोगों को आसानी से मुझे पहचान कर फिर जान से मारने में मदत करने का प्रयास हैं। मेने कई बार पुलिस थाने से सुरक्षा की भी मांग की लेकिन कोई मदत नही मिल पाती है।”

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